तू मेरे ख़्यालो में बाहों में सांसों में हर रोज़ सुला तुम्हें मैं लाती हूं ख़्वाबों मे तू मेरे ख़्यालो में बाहों में सांसों में हर रोज़ सुला तुम्हें मैं लाती हूं ख़...
लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है। लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है।
चल पड़े थे उस सड़क पे, जहाँ पे सुकून था, चल पड़े थे उस सड़क पे, जहाँ पे सुकून था,
मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता! मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता!
बहाने तो ऐसे करते हैं जैसे उन्होनें कुछ नहीं देखा। बहाने तो ऐसे करते हैं जैसे उन्होनें कुछ नहीं देखा।
मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।